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गुरुवार, 19 मार्च 2009

नमस्‍कार

माननीय साथियो,
आज से मैं भी आपके साथ ब्‍लागजगत में दिखाई दूंगा। कोशिश होगी कि सीधी-सच्‍ची बात कहूं। कुछ आपके मन की, कुछ अपने मन की। संसद से सड़क तक उस आदमी की जो रोटी बेलता है और उसकी भी, जो रोटी से खेलता है। शब्द संसद में जो भी होगा वह आपके दिल की बात होगी। यहां आप हामिद से भी मिलेंगे और होरी से भी। कोशिश होगी कि इस संसद में जो भी शब्‍द हों वो मेरे, आपके और उनके दिल की बात हो। आवाज हो जो उनके कानों में गूंजे जो मेरे और आपकी रोटी से खेलते हैं।
आशा है आप सभी मुझे रास्‍ता दिखाएंगे। भटकने नहीं देंगे।
आपका
एस राजन टोडरिया

8 टिप्‍पणियां:

  1. स्‍वागत है आपका। आशा है आपके ब्‍लाग पर नियमित पोस्‍ट पढ़ने को मिलेंगी।

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  4. बड़े भाई,

    आपकी लेखनी का जादू आज भी सर चढकर बोलता है, आज बड़े-बड़े अखबारों चैनलों और मीडिया संस्थानों या फिर पत्रकारिता का झंडा उठाए किसी भी व्यक्ति,संस्थान आदि आदि का ज़िक्र करूँ, पत्रकारिता की समझ जो आप में है किसी में नहीं दिखती। इक्का-दुक्का ही ऐसे लोग हो सकते हैं जो आपकी सोच और समझ के नज़दीक लिख पाते होंगे। आप आम आदमी का दर्द जानते हैं, समझते हैं और उस दर्द का मरहम जुटाने के लिए अपनी पूरी-पूरी ताकत झोंक देते हैं इसी लिए आप जहाँ भी रहे हैं, जहाँ भी गये हैं,जहाँ से लौटे है अपनी महक छोड़ गये हैं, शिमला में आपकी याद कोई करे न करे इस पर अलग से चर्चा हो सकती है लेकिन आपने जो पत्रकारिता हिमाचल में की है वो आपके साथ-साथ ही चली गई है। अब वो सब नहीं होता। गाँव अपनी समस्याओं को लेकर उदास हैं, संस्कृति का हाल पूछे बरसों बीत गए हैं, असहाय रोगियों की खबरें अब कोई नहीं छापता। हाँ मंत्रियों के समारोहों और प्रैस नोटों से अख़बार अब भरा पूरा रहता है। भ्रष्टाचार सीना फुलाए सभी मुख्य स्थानों पर नज़र आता है।
    हिमाचल में पत्रकारिता की जो अलख आपने जगाई है उसे कोई चाह कर भी नहीं भुला सकता है। हिमाचल के कोने-कोने में आपके द्वारा रोपे गए पत्रकार ही नज़र आते हैं(इस बात का अहसास उन्हें हो न हो इससे भला क्या फर्क पड़ता है)?
    पत्रकारों के लिए, मेरे लिए जो लड़ाई आपने अपनी कलम से लड़ी है उसे भला कैसे भुलाया जा सकता है? मुझे इस बात का मलाल आज भी है कि आपने मुझे अपने साथ काम करने पर मेरे आग्रहों के बावजूद भी सहमति नहीं दी और मै आपसे कुछ सीख पाने से वंचित रह गया लेकिन मेरे लिए आपने जो लड़ाई लड़ी है, उसे भला कैसे भुला सकता हूँ। आज भी आपके द्वारा तराशी गई एक-एक स्टोरी तरो-ताज़ा हो आती है। बड़े-बड़े अखबार, न्यूज़ चैनल और पत्रकारिता के संस्थान तो हैं, लेकिन आप जैसे पत्रकारों का उनमें न होना इन चैनलों और अखबारों को पंचायतों, नेताओं चोरों और ग्लैमर की ख़बरों मात्र को ही प्रकाशित-प्रसारित करने पर विवश है। आपकी कलम के मुकाबले की कलम इक्का-दुक्का ही दिखती है। दो कौड़ी के लोग लिख रहे हैं। इसलिए भाई कहीं से भी आओ मगर आ जाओ आपकी पत्रकारिता को ज़रूरत है।
    हिमाचल प्रदेश में पत्रकारिता में जो आपने बीज बोए थे वो अब एक लहलहाती हुई फसल हो गए हैं। आपकी लेखनी साधारण लेखनी नहीं है, सब जानते हैं। आपको बता दूँ कि आज भी हिमाचल में 'अमर उजाला'आत्म सम्मान से खड़ा है, कोई माने या न माने मुझे पता है कि इस आत्म सम्मान में कहीं न कहीं आपके द्वारा भरी गई नींव का अहम हाथ है। मैं आपकी लेखनी आपकी समझ को सलाम ठोकता हूँ।

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  6. भाई तीन बार कमैंट लिखा तीन बार मिटाया फिर भी बहुत कुछ लिखने को रह गया मेरी बैचैनी आप समझ सकते हैं। इसलिए भूल-चूक की माफी भी साथ-साथ ही दे दीजिएगा।

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